मध्य प्रदेश के प्रमुख महल एवं किले, mp ke mahal in hindi, mp ke mahal – (Madhya Pradesh ke Pramukh Kile va Mahal)- मध्य प्रदेश के प्रमुख किले एवं महल धार का किला यह किला मध्य प्रदेश के धार जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है
इस किले का पुनर्निर्माण मोहम्मद तुगलक ने सन 1344 में, कराया था और इसी किले के अंदर पेशवा बाजीराव का जन्म हुआ था।
Madhya Pradesh ke Pramukh Kile va Mahal | mp ke mahal in hindi
- जहांगीर का महल – ओरछा
- जयविलास महल – ग्वालियर
- बघेलन महल – (रामनगर) मंडला
- राजा अमन महल – अजयगढ़ पन्ना
- इत्र दार का महल – रायसेन
- राजा रोहित महल – रायसेन
- खरबूजा महल – धार
- सतखंडा महल – दतिया
- नौखंडा महल – चंदेरी
- हिंडोला महल – मांडू
- जहाज महल – मांडू
- रानी रूपमती – महल मांडू
- अशर्फी महल – मांडू
- रानी रूपमती महल – मांडू
- मदन महल – जबलपुर
- बादल महल – रायसेन और ग्वालियर
- हवा महल – चंदेरी
- गुजरी महल – ग्वालियर
- रानी महल – (रामनगर) मंडला
- कालिया देह महल – उज्जैन
- छप्पन महल – मांडू धार
- अंधा महल – धार
- गौहर महल – भोपाल
- शौकत महल – भोपाल
- शाहजंह महल – ग्वालियेर
- राज महल – अशोक नगर
- धुबेला महल – छतरपुर
- विक्रम महल – ग्वालियर
- कर्ण महल – ग्वालियर
- तारा बाई महल – शाजापुर
- क्रोऊन महल – रतलाम
- अदर गुम्मद महल – धार
- सुंदर महल – ओरछा
- कमलापति पैलेश – भोपाल
- मान मंदिर महल – ग्वालियर
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गुजरी महल
यह महल ग्वालियर में स्थित है इसका निर्माण राजा मानसिंह तोमर ने अपनी गुजरी रानी मृगनैनी के लिए करवाया था अब इस महल को एक संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया है और यहां पर कई सारी दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहर संरक्षित की जाती हैं जैसे कि शालभंजिका प्रतिमाएं और बाघ की चित्रकारी की अनुकृतियां
मृगनयनी का मूल नाम “निन्नी” था
जल महल
जल महल का निर्माण 15 100 ईसवी पूर्व हुआ था और इस महल का निर्माण मांडू के सुल्तान नसीरुद्दीन खिलजी ने करवाया था।
मोती महल
यह महल मंडला जिले के गांव रामनगर में बसा हुआ है मंडला शहर से यह लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है यहां पर 350 साल पहले राजा शाह ने मोती महल का निर्माण कराया था जो उस समय की वस्तु कला का अद्भुत उदाहरण है।
मोती महल में पांच मंजिला इमारत है लेकिन यह कहा जाता है कि दो मंजिल नीचे जमीन पर दबी हुई है और तीन मंजिल है अभी भी ऊपर हैं जहां पर दूर-दूर से पर्यटक और आसपास के लोग देखने के लिए पहुंचते हैं।
मोती महल का निर्माण सन 1667 ईस्वी में किया गया था और आज भी यह महल स्थित है लेकिन देखरेख ना होने की वजह से यह लुप्त होने की स्थिति जैसी है लेकिन फिर भी अभी यह महल बहुत सुंदर और आकर्षक है जिसके कारण यहां पर देश-विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं।
हालांकि वर्ष 1984 में मोती महल को मध्यप्रदेश शासन द्वारा संरक्षित किया गया है इस महल के आंगन में एक स्नानागार है।
रानी महल
यह महल भी मंडला जिले में स्थित है और मोती महल से डेढ़ मील की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है इसे बघेलन महल के नाम से भी जाना जाता है
रानी महल को भारत शासन द्वारा सुरक्षित घोषित किया गया है।
जय विलास महल
यह महल ग्वालियर में स्थित है जो कि अपनी ऐतिहासिकता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है और यह महल मराठा सिंधिया वंश से तालुकात रखता है और वर्तमान समय में महल का कुछ हिस्सा जीवाजी राव सिंधिया संग्रहालय में मिला दिया गया है।
जय विलास महल वर्ष 1874 में बनकर तैयार हुआ था और इस महल के वास्तुकार लेफ्टिनेंट कर्नल सर्वाइकल फिलोस थे।
मान मंदिर महल यह मंदिर भी ग्वालियर में स्थित है और ग्वालियर के किले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है इस महल को पेंटेड हाउस के नाम से भी जाना जाता है जिसमें फूलों पक्षियों जानवरों एवं मनुष्य के रंग-बिरंगे चित्र बने हुए हैं
इस महल का निर्माण भी राजा मानसिंह द्वारा वर्ष 1486 से लेकर 1517 के बीच में कराया गया था
इस महल के तयखानों में एक कैद खाना बना हुआ है,
होलकर महल
इस महल को रजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है और यह इंदौर के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक है इस महल का निर्माण अहिल्याबाई ने करवाया है यह महल पूरी तरह से लकड़ी और पत्थर से बनाया गया है इस महल का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था।
राजा महल
यह महल ओरछा के किले में बना एक आलीशान महल है जो कि मुख्य रूप से राजा के लिए अलग से बनाया गया था इस महल के बाहर स्तर पर पूरा परिसर लाटों से सजा है जबकि अंदर सज्जा में सर्वश्रेष्ठ चित्रों की भव्यता है।
जहाज महल
यह महल मांडू में स्थित है यह महल खूबसूरत दिखने वाले दो तालाब के बीच बनवाया गया था जिससे कि यह जहाज की तरह दिखाई दे।
इस महल का निर्माण वर्ष 1469 से 1500 के बीच में खिलजी राजवंश के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी द्वारा करवाया गया इस महल के आर्किटेक्चर के लिए अफगानिस्तान के आर्किटेक्चर की नियुक्ति की गई थी।
सतखंडा महल
सतखंडा महल मध्य प्रदेश के दतिया जिले में है इसका निर्माण वर्ग 1614 ईस्वी में राजा वीर सिंह जूदेव बुंदेला करवाया था
इस महल का निर्माण पत्थर और ईटों के द्वारा ही किया गया है और यह 7 मंजिला महल है इसमें किसी भी तरह के लकड़ी और लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है
सतखंडा महल को पुरानी महल हवा महल और कीर्ति महल के रूप में भी जाना जाता है यह सात मंजिला महल बुंदेली वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है
किवदंती के अनुसार इस महल में भूमि के नीचे 7 मंजिलें हैं पूरा महल नौ खंडों का है सात खंड भूमि के ऊपर और 2 खंड भूमि के नीचे हैं महल के भूतल से नीचे की मंजिलों में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है किंतु नीचे जाने का रास्ता अब बंद कर दिया गया है।
दाई महल
यह महल मांडू सिटी के बीचो बीच में स्थित है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है नरस यानी सेवा करने वाली
हिंडोला महल
हिंडोला महल का मतलब होता है झूलती हुई जगह यह महल पुराने समय के राज्यों और शासन की भव्यता का प्रतीक है हिंडोला महल मांडू की शाही इमारतों में से एक है और इस महल का निर्माण होशंग शाह के शासनकाल में किया गया।
इस महल की बाहरी दीवार है 77 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं जिसके कारण इस महल को हिंडोला महल कहा जाता है।
खरबूजा महल
यह महल बुरहानपुर में स्थित है
बाज बहादुर महल
रूपमती महल से थोड़ा नीचे की ओर बाज बहादुर महल स्थित है यह कहा जाता है कि रूपमती महल का मंडप बाज बहादुर महल से देखने पर बहुत ही प्यारा लगता है
यह महल मांडू में स्थित है और यह सोलवीं सदी की महल है जिसमें एक बड़ा सा आंगन बड़ा सा हॉल और 1 छत शामिल है यह महल रूपमती और बाज बहादुर के बीच की प्रेम प्रसंग के दूसरे पहलू को दिखाता है
अशर्फी महल
इस महल का निर्माण महमूद खिलजी ने मदरसे के लिए करवाया था यह महल जामा मस्जिद के सामने स्थित है इस महल को मध्य प्रदेश के सिटी ऑफ जॉय कहा जाता है।
मदन महल
मदन महल जबलपुर में स्थित है और यह एक दर्शनीय महल है इस महल का निर्माण 1200 ईसवी में राजा मदन शाह ने कराया था।
मध्य प्रदेश के प्रमुख दुर्ग दुर्ग एवं किले
असीरगढ़ का किला/mp ke pramukh mahal
- असीरगढ़ का किला बुरहानपुर में स्थित है, जिसका निर्माण एक अहीर राजा ने करवाया था जिसका नाम आशा था।
- असीरगढ़ का यह अकेला तीन भागों में विभाजित है पहला भाग असीरगढ़ खास दूसरा कमरगढ़ तथा तीसरा भाग मलयगढ के नाम से जाना जाता है।
- यहां के किले पर निर्मित जामा मस्जिद बहुत प्रसिद्ध है इसके अलावा यहां पर अन्य दर्शनीय स्थल जैसे मोती महल अश्वत्थामा मंदिर हजरत शाह नोमानी असीरी का मकबरा शिव मंदिर एवं असीरगढ़ की अधिष्ठात्री धातु आशापूर्णा मां का मंदिर है
- सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के तल से लगभग 260 मीटर और समुद्र तल से लगभग 700 मीटर की ऊंचाई पर असीरगढ़ का किला स्थित है।
- असीरगढ़ किला को 250 मीटर ऊंची दीवारों वाला दुर्ग या किला भी कहा जाता है
- मजबूत दीवारों एवं बुजियों से धीरे इस किले के 7 दरवाजा थे।
- यह माना जाता है कि असीरगढ़ का किला महाभारत काल के समय मैं ही निर्माण हुआ था। और ऐतिहासिक रूप से इस किले का निर्माण 9 वीं सदी मैं हुआ होगा
- 1295 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने दक्कन अभियान से लौटते समय इस किले पर कब्जा कर लिया था इसके बाद यह किला आशा अहीर नाम के शासक के अधीन चला गया और उसके बाद यह किला का नाम असीरगढ़ पड़ गया।
- इसके कुछ दिनों बाद आशा अहीर और उसके पूरे फैमिली को नसीर ने धोखे से मारकर किले पर कब्जा कर लिया।
- इसके बाद सम्राट अकबर ने 1601 ईसवी में इस किले पर अपना कब्जा जमा लिया।
- और 1904 में इसे अंग्रेज छावनी के रूप में बदल दिया गया।
- यहां पर बहुत सारे मकबरे स्थित हैं जैसे सूफी बुरहानपुर संत हजरत शाह भिखारी का मकबरा, हजरत शाह बहाउद्दीन का मकबरा, शाहनवाज खान का मकबरा ,दानिधाल का मकबरा, परवेज का मकबरा , हजरत बुरहानुद्दीन का मकबरा, बेगम शाह सुजा का मकबरा, प्यारे साहब का मकबरा, हजरत फजलुल्लाह नायब ए रसूल का मकबरा, मनसूर शाह का मकबरा , हजरत चुप वाली का मकबरा, आदि।
- और हजरत मोहम्मद शाह (दूल्हा) की मजार, हजरत नजीर शाह चिश्ती की मजार आदि प्रसिद्ध है
नरवर का किला –
- नरवर का किला शिवपुरी जिले में स्थित है ,जिसका निर्माण राजा नल ने करवाया था।
- 14वीं शताब्दी के शुरू में नरवर के अंतिम शासक गणपति ने दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के हाथों हार स्वीकार करके नरवर पर अपना आधिपत्य को दिया था।
- सन 1506 में सिकंदर लोदी ने नरवर पर अपना आधिपत्य स्थापित किया तथा इसे राज सिंह कछवाहा को दे दिया।
- नरवर कछवाहा शासकों के पास 19वीं शताब्दी तक रहा पश्चात दौलतराव सिंधिया ने किले पर अपना आधिपत्य स्थापित कर हवापौर का निर्माण किया।
- नरवर का किला 8 किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत है और नरवर कस्बे में सिद्ध नदी के दाएं तट पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है
- इस किले का संबंध कछवाहा तो मरो और जयपुर के राजघरानों से था
- यह किला समुद्र की तल से लगभग 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है
ग्वालियर का किला –
- ग्वालियर का किला पूर्व का जिब्राल्टर ग्वालियर में स्थित है। जिसका निर्माण राजा शूरसेन ने करवाया था।
- इस किले का निर्माण राजा सूरज सेन ने 332 हिजरी पूर्व में करवाया था
- यह किला गोपाचल पहाड़ी पर बना हुआ है
- गवालव या ग्वालिपा ऋषि के नाम पर ग्वालियर नगर की स्थापना ।
- ग्वालियर दुर्ग का निर्माण सूरज सेन द्वारा आठवीं शादी में करवाया पूर्व का जिब्राल्टर तथा किलो का रत्न भी कहा जाता है।
- मानसिंह तोमर के शासनकाल में इस किले को एक नई पहचान मिली इब्राहिम लोदी के आधिपत्य में भी यह कुछ काल तक रहा फिर बाबर और सूरी वंश से होते हुए यह अकबर के अधिकार में आ गया।
- मुगल वंश के पतन के बाद राणा राजपूतों जाटों और मराठों का इस पर अधिकार रहा अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के समय 1 जून 5858 को लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे की सहायता से इस किले पर अधिकार कर लिया था लेकिन बाद में रोज के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया
- ग्वालियर का यह अकेला लाल बलुआ पत्थर द्वारा निर्मित है
- 5 दरवाजे हैं – 1. आलमगीर का दरवाजा 2. हिंडोला दरवाजा 3. गुजरी महल दरवाजा 6. चतुर्भुज दरवाजा और 5. हाथीफोड़ दरवाजा
- इस पर पहुंचने के दो रास्ते हैं ग्वालियर गेट यहां से आप पैदल जा सकते हैं और दूसरा गेट उरवाई गेट जहां पर आप वाहन की सहायता से जा सकते हैं.
- बादल महल ,हिंडोला गेट ,आलम गिरी गेट, चतुर्भुज मंदिर ,मानसिंह पैलेस, गुजरी महल, सास बहू का मंदिर ,तेली का मंदिर ,आदि इस किले मैं प्रमुख ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है.
धार का किला–
- धार का किला धार में स्थित है, जिसका निर्माण मोहम्मद तुगलक ने करवाया है।
- यह किला शहर के उत्तर दिशा में स्थित है और इस प्ले का निर्माण सन 1344 ईस्वी है
- यहां पर देवी कालका मंदिर व अब्दुल्लाह शाह चंगल का मकबरा है
चंदेरी का किला –
- चंदेरी का किला अशोक नगर में स्थित है, जिसका निर्माण नरेश कीर्तिपाल ने करवाया था।
- यह किला अशोकनगर में बेतवा नदी के किनारे स्थित है।
- बाबर के आक्रमण पर 800 राजपूत रानियों ने जोहर किया था
अजय गढ़ का किला –
- अजय गढ़ का किला पन्ना में स्थित है जिसका निर्माण राजा अजय पाल ने करवाया था।
ओरछा का किला –
- ओरछा का किला टीकमगढ़ में स्थित है, जिसका निर्माण वीर सिंह बुंदेला ने करवाया।
- यह अकेला बेतवा नदी के मध्य में दीप पर स्थित है।
- इस किले का परकोटा सूढा अर्थात टापू की ओर से छोर तक बनवाया गया था इसलिए इसका नाम ओरछा पड़ गया।
- इस किले में 3 दरवाजे हैं पश्चिम की ओर में कटीला दरवाजा पूर्व की ओर में शाही दरवाजा एवं बाई और भी एक दरवाजा है।
- इस किले में 8 खंभों पर निर्मित एक दरवाजा खोल है जिसे अष्ट खंभा भी कहा जाता है
मंडला किला –
- मंडला किला मंडला दुर्ग में स्थित है, जिसका निर्माण राजा नरेंद्र शाह ने करवाया था।
- मंडला के किले में राज राजेश्वरी की स्थापना निजाम शाह ने कराई थी
गिन्नौरगढ़ का किला –
- गिन्नौरगढ़ का किला रायसेन में स्थित है, जिसका निर्माण राजा उदय बर्मन ने करवाया था।
- यह किला गिन्नौरी पहाड़ी पर स्थित है जो कि भोपाल से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है
- इस किले के आसपास के क्षेत्रों में तोते बहुत मात्रा में पाए जाते हैं
बांधवगढ़ का किला –
- बांधवगढ़ का किला उमरिया में स्थित है, जिसका निर्माण बघेलखंड के राजाओं ने करवाया था।
- लगभग 200 साल पुराना बांधवगढ़ किला बांधवगढ़ पहाड़ियों की खड़ी चोटी पर स्थित है
- यह किला 800 मीटर की ऊंचाई पर बना है।
- एक पौराणिक कथा के अनुसार इस किले को भारत और लंका के बीच सेतु समुद्रम बनाने वाले वानरों ने बनाया था राम लक्ष्मण और हनुमान ने लंका से वापसी के समय यहां पर विश्राम किया था तब राम ने यह किला लक्ष्मण को भाई के प्रेम की निशानी के तौर पर भेंट किया लक्ष्मण को बांधवधीश की उपाधि यहीं से मिली
- इस किले के बगल से चरण गंगा नदी बहती है
- माना जाता है की यह नदी का स्रोत विष्णु के चरण से है जिस कारण इस नदी को चरण गंगा कहा जाता है।
- बांधवगढ़ लगभग 32 पहाड़ियों और 1 रनों से घिरा हुआ है और इसमें लगभग 100 जलकुंड हैं जिनमें से 55 जलकुंड मनुष्य द्वारा बनाए गए हैं और 45 जलकुंड नैसर्गिक हैं।
- इस किले का उल्लेख नारद पंचरत्न एवं शिव संहिता पुराण में मिलता है
मकडाई का किला-
- यह किला हरदा जिले में स्थित है जो कि हरदा मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है
- इसके किले का निर्माण राजा मकरंद शाह ने कराया था।
सबलगढ़ का किला-
- गेम खेला मुरैना के ऊंची पहाड़ी पर स्थित है इस किले का निर्माण करौली के यदुवंशी राजा गोपीचंद ने 18वीं शताब्दी के पूर्वार्द में कराया था।
कुशलगढ़ का किला-
- यह किला इंदौर की महू तहसील में स्थित है इसके लिए को राज्य सरकार ने पुरातत्व महत्व को ध्यान में रखते हुए संरक्षित स्मारक घोषित किया है
- इस किले में राजद्रोही लयों को रखा जाता था।
- किले के चारों कोनों पर चार बुर्ज बने हैं और सैनिक तैनात रहते थे जब कोई शत्रु हमला करता तब बुर्ज पर तैनात सैनिक मुंह तोड़ जवाब देते किले की दीवारें बहुत चौड़ी हैं।
अटेर का किला-
- यह किला भिंड जिले में स्थित है। यह भिंड जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसके पास में चंबल नदी में स्थित है
- बदन सिंह ने वर्ष 1644 में इस केले की आधारशिला रखी थी।
- किला,, पूर्व से पश्चिम तक 700 और उत्तर से दक्षिण की ओर 325 फीट क्षेत्रफल में निर्मित है इसमें 17 बुर्ज और चार प्रवेश द्वार हैं।
- दुर्ग के प्रवेश द्वारों का स्थापत्य मुगलकालीन स्थापत्य से प्रभावित है इस दुर्ग के भवनों में 7 मंजिला भवन प्रमुख है जिसे सतखंडा कहा जाता है सतखंडा का निर्माण किले के भीतर चौकसी के लिए एक बुर्ज के रूप में किया गया था।
मुझे उम्मीद है कि अब आप मध्य प्रदेश के प्रमुख महल एवं किले- Madhya Pradesh ke Pramukh Kile va Mahal के बारे में विस्तार से जान गए होंगे।
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