Veerangana Rani Avanti Bai :- इस पोस्ट में हम वीरांगना रानी अवंति बाई के बारे में जानेंगे, यदि आप मध्य प्रदेश के किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित रूप से Veerangana Rani Avanti Bai की यह जानकारी आपके परीक्षा में हेल्पर फुल होगा।
वीरांगना रानी अवंती बाई | Veerangana Rani Avanti Bai
✔ मध्य प्रदेश के शिवनी जिले के मनकेडी नामक गांव में वीरांगना अवंती बाई का जन्म हुआ था
✔ वीरांगना रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को हुआ और उनके पिता का नाम राव जुझार सिंह लोधी था
✔ मंडला जिले के वीर सेनानियों में रामगढ़ की रानी देश की महानतम वीरांगनाओं में स्थान प्राप्त है।
✔ वीरांगना रानी अवंती बाई का विवाह वर्ष 1849 में विक्रम जीत के साथ हुआ जोकि रामगढ़ रियासत के राजकुमार थे।
✔ वर्ष 1850 में रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह की मौत हो जाने के बाद उनके एकमात्र पुत्र विक्रमजीत को यह पद मिलने वाला था लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ होने का एक कारण बता दिया और सत्ता से वंचित कर दिया और रामगढ़ के सत्ता को अपने हाथों में ले लिया।
✔ इसके बाद अंग्रेजी शासन ने वहां पर एक तहसीलदार की नियुक्ति कर दिया और राजा एवं परिवार के भरण-पोषण के लिए वार्षिक वृद्धि बांध दी
✔ यह व्यवहार अत्यंत धांधली पूर्ण था क्योंकि रानी (राजा लक्ष्मण सिंह की पत्नी ) रामगढ़ में एक अत्यंत योग्य तथा विज्ञ महिला थी जो यदि अपने पति के नाम पर नहीं तो अपने पुत्र के नाम पर राज्य का प्रबंध कर सकती थी
✔ लेकिन यह सारा विरोध यूं ही व्यर्थ चला गया कारण की उस समय राज्य को हड़पने की फिरंगियों की नीति चरम सीमा पर थी।
✔ लेकिन रानी को यह महसूस हुआ कि अन्याय को सहन करना ठीक नहीं है बल्कि अब हमें शस्त्र लेकर अंग्रेजों का विरोध करेंगे
✔ रानी सैनिकों का रूप एवं हाथों में तलवार लेकर स्वयं अपने सैनिकों का रण क्षेत्र में नेतृत्व करने लगी और आसपास के बड़े-बड़े जमीदारों को संदेश भेजा कि इस लड़ाई में साथ दें संदेश प्राप्त होने के बाद बुंदेलखंड के जमींदारों ने अपनी सहमति दी और रानी को मदद करने का भरोसा दिया।
✔ रानी अवंती बाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम मैं रामगढ़ रियासत मंडला डिंडोरी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
✔ 1853 में अंग्रेज सरकार ने विक्रमजीत सिंह को विक्षिप्त और उनके दोनों पुत्रों को अवयस्क घोषित करके “कोर्ट ऑफ वॉर्डस” के द्वारा रामगढ़ का प्रशासन शेख मोहम्मद और मोहम्मद अब्दुल्ला को हाथों में दे दिया
✔ परंतु रानी अवंती बाई ने शेख मोहम्मद और मोहम्मद अब्दुल्ला दोनों को राज्य से बाहर निकाल दिया
✔ सन 1855 में विक्रमजीतसिंह की मृत्यु हो गई
✔ उसके बाद रामगढ़ का प्रशासन अवयस्क पुत्रों की संरक्षिका के रूप में रानी के हाथ में आ गया
✔ खैरी का युद्ध 23 नवंबर 1857 को हुआ अंग्रेज अधिकारी वाडिंग्टन अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद भी विद्रोहियों को रोकने में पूरी तरह से असफल रहा और मंडला सहित पूरा रामगढ़ राज्य पूर्ण रुप से स्वतंत्र हो गया
✔ 18 से 20 मार्च 1858 में देवहार गढ़ का युद्ध मैं अंग्रेजों का वर्चस्व दोबारा से बढ़ने लगा 15 जनवरी 1858 को घुघरी पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया।
✔ सन 1858 में रामगढ़ को भी चारों ओर से घेर लिया गया और किले की दीवारों को नष्ट करने लगे।
✔ जिसके बाद रानी अवंती बाई घेरे से निकलते हुए जंगल में प्रवेश कर जाती हैं जिसके बाद अंग्रेजी शासन ने रामगढ में अधिकार बना लेता है
✔ अंग्रेजों ने रानी अवंती बाई को भी देवहार गढ़ में घेर लिया और बहुत दिनों तक लड़ाई चलता रहा
✔ इस लड़ाई में रानी अवंती बाई बुरी तरह से घायल हो जाती है और अपनी सम्मान की रक्षा के लिए अपनी अंग रक्षिका गिरधारी भाई की कटार अपने सीने में भौंककर अपनी जीवन लीला 20 मार्च 1858 को समाप्त कर लेती है।
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FAQ –
रानी अवंती बाई कौन थी
वीरांगना रानी अवंती बाई रामगढ़ की रानी थी
वीरांगना रानी अवंती बाई की अंगरक्षक कौन थी
गिरधारी बाई
रानी अवंती बाई की समाधि कहां है
डिंडोरी के बालपुर में
वीरांगना रानी अवंती बाई का जन्म कब हुआ
16 अगस्त 1831
रानी अवंती बाई की मृत्यु कब हुई थी
20 मार्च 1858
विक्रम सिंह जीत की मृत्यु कब हुई
सन 1855 में
वीरांगना रानी अवंती बाई का जन्म कहां हुआ था
मध्य प्रदेश के शिवनी जिले के मनकेडी नामक गांव में वीरांगना अवंती बाई का जन्म हुआ था
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