Constitution of mp Madhyapradesh ka Gathan: मध्यप्रदेश देश के बीच में बसा है इसलिए इस प्रदेश को हिरदय प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।जिसका नामकरण पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने किया था और ब्रिटिश काल में इसे सेंट्रल प्रोविसेस तथा बरार नाम से जाना जाता था।
- मध्यप्रदेश का इतिहास (History of Madhya Pradesh)
- मध्यप्रदेश में प्रथम व एकमात्र (First and only in Madhya Pradesh)
- मध्यप्रदेश के प्रमुख अनुसंधान केंद्र एवं प्रशिक्षण संस्थान
- Madhya Pradesh के प्रमुख समाधि एवं मकबरे
स्वतंत्रता पश्चात मध्यप्रदेश को 3 स्टेट A,B तथा C में विभाजित किया गया था। सेंटल प्रोविसेस तथा बरार में छत्तीसगढ़ और बघेलखण्ड को मिलाकर स्टेट A बनाया गया।और पश्चिम की रियासतों को मिलाकर स्टेट B बनाया गया जिसका नाम मध्य भारत रखा गया। उत्तर की रियासतों को मिलाकर स्टेट C बनाया गया जिसमें भोपाल Part C का भाग था ।
स्टेट और उनकी राजधानी
- स्टेट-A _ नागपुर
- स्टेट-B_ ग्वालियर व इंदौर
- स्टेट-C_रीवा महाकौशल क्षेत्र_ जबलपुर
नए मध्य प्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ यह चार हिंदी भाषी राज्यों के सम्मेलन का प्रतिफल था यह चार क्षेत्र थे मध्य प्रदेश के हिंदी भाषी जिले महाकौशल मध्य भारत ,विंध्य प्रदेश तथा भोपाल साथ ही साथ राजस्थान के कोटा जिले का सिरोंज उप संभाग भी इसमें शामिल किया गया था
उस समय मध्य प्रदेश में कुल 43 जिले थे जिसमें महाकौशल के 17 मध्य भारत के 16 विंध्य प्रदेश के 8 और भोपाल के 2 जिले शामिल थे
उत्तरी महाकौशल के जिले सागर नर्मदा टेरेट्रीज प्रांत कहलाते थे फिर इसको और नागपुर क्षेत्र को मिलाकर सेंट्रल प्रोविंस बना दिया गया
तीन प्रकार के राज्य हो गए ब्रिटिश प्रांत ए श्रेणी के मध्य भारत राजस्थान आदि बी श्रेणी भोपाल विंध्य प्रदेश आदि सी श्रेणी के राज्य बन गए
29 दिसंबर 1953 को जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग गठित किया इसके 2 सदस्य पंडित हृदयनाथ कुज्रु तथा सरदार के एम पणिक्कर थे
30 सितंबर 1955 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप कर 104 स्थानों का दौरा किया 9000 लोगों से मुलाकात, 152250 ज्ञापन लिये
आयोग ने राष्ट्रीय एकता प्रशासनिक और वित्तीय वय्व्हार्य्ता आर्थिक विकास भाषा और अल्पसंख्यक हितों को आधार माना इस प्रकार आयोग ने राष्ट्रीय एकता के हित को सर्वोपरि रखकर पुनर्गठन की अनुशंसा कि आयोग ने तत्कालीन 27 राज्यों के स्थान पर 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की सिफारिश की
आयोग ने 3 नए राज्य बनाने की भी सिफारिश की थी विदर्भ केरल और कर्नाटक
पुराने मध्यप्रदेश में मराठी भाषी जिला नागपुर भंडारा वर्धा चंद्रपुर अकोला अमरावती बुलढाणा और यवतमाल को मिलाकर विदर्भ राज्य के गठन की अनुशंसा भी की गई
संपूर्ण चिंतन मनन करने के बाद आयोग ने अनुशंसा की कि नए मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश के शेष 14 जिले सुनेल क्षेत्र को छोड़कर पूरा मध्य प्रदेश पूरा विंध्य प्रदेश पूरा भोपाल और राजस्थान के कोटा जिले का सिरोंज उप संभाग शामिल किया जाए
नए राज्य की राजधानी के लिए जबलपुर को सुझाव दिया गया भोपाल के मुख्यमंत्री डॉ शंकर दयाल शर्मा ने भोपाल को राजधानी बनाने के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया पंडित शुक्र भी जबलपुर के पक्ष में थे लेकिन उन्होंने इसे नए राज्य के गठन में राजधानी के सवाल को अवरोध का कारण न बनाते हुए भोपाल को राजधानी स्वीकार कर लिया था
राजधानी बनाने का आग्रह जबलपुर के अलावा इंदौर और ग्वालियर से भी था इसी के मद्देनजर भोपाल को राजधानी बनाया गया तो उच्च न्यायालय जबलपुर को दिया गया राजस्व मंडल ग्वालियर को और लोक सेवा आयोग इंदौर को
मध्य प्रदेश पहला राज्य था जहां राजधानी और उच्च न्यायालय अलग-अलग शहरों में स्थापित किया गया
23 और 24 जुलाई 1956 को नागपुर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य भारत के श्री तख्त्मल जैन विंध्य प्रदेश के श्री शंभूनाथ शुक्ल तथा भोपाल के डॉक्टर शर्मा की दो दिवसीय बैठक हुई इसमें 7 कमिश्नरी डिवीजन बनाने का फैसला किया गया
य थे भोपाल जबलपुर ग्वालियर इंदौर रीवा रायपुर तथा बिलासपुर डीआईजी के अधीन 6 पुलिस रेंज बनाने तथा श्री के ऐफ रुस्तम जी को नए मध्य प्रदेश का पुलिस महानिरीक्षक बनाने का निर्णय भी लिया गया
16 अक्टूबर 1956 को चारों राज्यों में चुने हुए कांग्रेसी विधायकों की एक संयुक्त बैठक नागपुर विधानसभा भवन में आयोजित की गई बैठक के अध्यक्ष थे मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे
नई मध्य प्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ पट्टाभी सीतारामय्या को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतुल्लाह ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई इसके बाद पंडित रविशंकर शुक्ल को मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की तथा उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को शपथ दिलाई गई
श्री तख्त मल जैन शंभूनाथ शुक्ल डॉ शंकर दयाल शर्मा मंत्री के रूप में शामिल कर लिए गए नए मध्य प्रदेश की पहली सम्मिलित विधानसभा 350 सदस्यों की थी इसमें 90 सदस्य मध्य भारत से 30 सदस्य भोपाल राज्य से 40 सदस्य विंध्य प्रदेश से और 190 सदस्य पुराने मध्यप्रदेश से थे अंतरिम विधानसभा के नाम से जाना जाता है
1957 के नए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या कम कर दी गई और नवगठित प्रदेश की पहली विधानसभा 218 विधानसभा क्षेत्रों की बनी परंतु 70 सीटों पर 2 सदस्यों के निर्वाचन के प्रावधान के तहत विधायक 288 ही चुने गए
इसी तरह नवगठित प्रदेश में 1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में लोकसभा सीटों की संख्या 27 थी
चारों घटक राज्यों की सम्मिलित प्रथम विधानसभा का प्रथम सत्र 17 दिसंबर को उसी भवन में आहूत हुआ था उसे उन दिनों मिंटो हॉल के नाम से जाना जाता था और जहां नए मध्य प्रदेश का पहला शपथ ग्रहण समारोह हुआ था
राज्य पुनर्गठन आयोग-1953
फजल अली की अध्यक्षता में 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा पर 1 नवम्बर 1956 को नया मप्र का गठन हुआ और आयोग के सिफारिशों के आधार पर राज्य की सीमाओं में कुछ बदलाव किया जैसे
बुलढाना, अकोला, अमरावती, वर्धा,यवतमाल, नागपुर, भंडारा और चांदा को महाराष्ट्र में मिला दिया गया शेष स्टेट-A का भाग वर्तमान में मध्यप्रदेश का भाग बना दिया गया।
मंदसौर की भानपुरा तहसील के सुनील टप्पा को छोड़कर शेष हिस्से को mp में शामिल कर दिया गया।
राजस्थान के कोटा जिले की सिरोंज तहसील को mp के विदिशा में लाया गया।
शेष स्टेट-B का हिस्सा वर्तमान में mp का भाग है।
भोपाल राज्य भी वर्तमान में mp का हिस्सा बना है।
mp की राजधानी भोपाल है जो कि सीहोर जिले की तहसील थी।
उस समय mp में कुल 43 जिले थे।
26/11/1972 को भोपाल और राजनांदगांव दो नए जिले बने और कुल 45 जिले हो गए।
बी. आर. दुबे की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जिसका नाम सिंह देव समिति रखा गया और इसी समिति के सिफारिश पर 1998 में दस(10) नए जिले बने,और1998 में ही 6 नए जिले और बनाये गये और कुल जिलो की संख्या 61 जो गई।
अक्टूबर 2000 में mp से छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने से 16 जिले छत्तीसगढ़ में समाहित हो गए और mp में पुनः 45 जिले हो गई।
Mp में वर्ष 2003 में बुराहनपुर, अनुपपुर, अशोकनगर तीन जिले ओर बनाये गये और कुल 48 जिले हो गए।
2008 में mp सरकार ने अलीराजपुर ओर सिंगरौली को जिला बनाया गया और कुल जिलों की संख्या 50 हो गई।
2013 में मध्यप्रदेश सरकार ने एक नया जिला आगर को घोषित कर mp में 51 वा जिला बनाया फिर निवारी जिला इसके बाद नागदा चाचौड़ा और नागदा को भी जिला बना दिया गया है और वर्तमान में mp में 55 जिले हैं।
मध्यप्रदेश सामान्य ज्ञान हिंदी में पढ़ें
मध्यप्रदेश राज्य को टाइगर स्टेट,सोया स्टेट,हिरदय प्रदेश, मध्य भारत, लघु भारत, नदियों का मायका और सेंट्रल प्रोवीसेस आदि नामों से जाना जाता है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है।
मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना 1 नवंबर1956 में हुआ।
मध्यप्रदेश की मुख्य भाषा हिंदी है,और इसके अलावा उर्दू व क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती है।
राजकीय चिन्ह चौबीस स्तूप आकृति के अंदर वृत में गेहूँ व धान की बाली
राजकीय पुष्प सफेद लिली है
राजकीय पशु बारह सिंगा
राजकीय पक्षी दूधराज या शाह बुल बुल
राजकीय व्रक्ष बरगद
राजकीय मछली महासीर
राजकीय नाट माच
राजकीय नृत्य राई
राजकीय फसल सोयाबीन
राजकीय खेल मलखम्ब
राजकीय नदी नर्मदा
राष्ट्रीय गान सुख का दाता सबका साथी, शुभ का यह संदेश है। माँ की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।।
Mp का क्षेत्रफल 3,08,245 वर्ग किलोमीटर है जिसमें पूर्व से पश्चिम की ओर 870 व उत्तर से दक्षिण 605 किलोमीटर भाग में फैला हुआ है।
Mp राज्य की सीमा से 5 राज्य मिलते हैं। 1.उत्तर दिशा में उत्तर प्रदेश 2.उत्तर पूर्व में छत्तीसगढ़ 3.दक्षिण में महाराष्ट्र 4.पश्चिम में राजस्थान और 5.गुजरात राज्य स्थित हैं।
भौगोलिक स्थिति 21°6 उत्तरी अक्षांस से 26°30 उत्तरी अक्षांश तक तथा 74°9 पूर्वी देशांतर से 81°48 पूर्वी देशांतर तक।
विधानसभा सीटें 230 +1 (एंग्लो इंडियन सदस्य)
लोकसभा सीटें 29
राज्यसभा सीटें 11
मध्यप्रदेश में sc के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र 35 और लोकसभा क्षेत्र 4
St के लिए 47 विधानसभा क्षेत्र व 6 लोकसभा क्षेत्र
मध्यप्रदेश में कुल sc/st के लिए आरक्षित विधानसभा सीटें 82 और लोकसभा सीटें 10 हैं
मध्यप्रदेश में कुल संभाग 10
कुल जिले 52 +3 प्रस्तावित हैं
तहसील 362
विकासखंड 313
आदिवासी विकासखंड 89
नगर निगम 16
नगर पालिका 98
नगर पंचायत 264
ग्राम पंचायत 23,010
जनपद पंचायत 313
जिला पंचायत 52 (मध्य प्रदेश के 55 जिलों का नाम)
कुल ग्राम 54903
पुलिस रेंज (IG) 11
DIG 15
पुलिस जिले 52
पुलिस थाने 1001
मध्यप्रदेश का उच्चन्यायालय जबलपुर
खंडपीठ इंदौर तथा ग्वालियर
मध्यप्रदेश के संभाग और संबंधित जिलों के नाम
चम्बल संभाग– इस संभाग में तीन जिले शामिल हैं, श्योपुर, भिंड मुरैना
ग्वालियर संभाग– इसमें पांच जिले हैं, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर व दतिया
उज्जैन– इसमें सात जिले सम्मिलित हैं, देवास, रतलाम,शाजापुर,मंदसौर, नीमच,उज्जैन और आगर
इंदौर– इस संभाग में आठ जिले सम्मिलित हैं, इंदौर,धार,झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खंडवा और बुराहनपुर
भोपाल– इस संभाग में पांच जिले सम्मिलित हैं, भोपाल, सीहोर, रायसेन,विदिशा, राजगढ़
नर्मदापुरम या होशंगाबाद संभाग– इसमें तीन जिले सम्मिलित हैं, होशंगाबाद, हरदा और बैतूल
सागर– इसमें पांच जिले सम्मिलित हैं, सागर, दमोह,पन्ना, छतरपुर एव टीकमगढ़
जबलपुर– जबलपुर, कटनी,मंडला, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी बालाघाट, व डिंडोरी
रीवा– रीवा,सीधी,सिंगरौली और सतना
शहडोल– इसमें तीन संभाग ,शहडोल, उमरिया,अनुपपुर
FAQs-
मध्य प्रदेश राज्य का गठन कब हुआ था
1 नवंबर 1956 को
1 नवंबर 1956 को गठन के समय मध्य प्रदेश में कितने जिले थे?
48 जिले वाह नो संभाग थे
2021 मैं मध्यप्रदेश में कितने संभाग हैं
10 संभाग और 52 जिले
वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में कौन-कौन से नए जिले बने
बुरहानपुर खंडवा से अनूपपुर शहडोल से और अशोकनगर गुना से यह तीनों जिला 15 अगस्त 2003 को बनाया गया।
मध्यप्रदेश में गठन के समय कितने जिले थे
45 जिले थे
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