मध्य प्रदेश के राजकीय प्रतीक चिन्ह | Madhya Pradesh ke Raajakeey Chinh (2021)

आज इस पोस्ट में मध्य प्रदेश के राजकीय प्रतीक चिन्ह – Madhya Pradesh ke Raajakeey Chinh के बारे में जानेंगे.

अगर आप मध्य प्रदेश के किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित रूप से यह जानकारी आपके परीक्षा के दृष्टि से हेल्पफुल साबित होगा।

Madhya Pradesh ke Raajakeey Chinh (2021)

मध्य प्रदेश के राजकीय चिन्ह में सबसे बाहरी तरफ “24 स्तूपों” की आकृति सुनहरे रंग में उत्कीर्ण है जो कि समय की अनवरत चाल को प्रदर्शित करती है तथा

इसके बाद एक वृत्त है जिसमें मध्यप्रदेश शासन एवं सत्यमेव जयते उतक्रीर्ण है साथ ही साथ इस वृत्त के एक तरफ धान (दाएं) एवं दूसरी तरफ गेंहू( बाएं) की बालियां प्रदर्शित है यह वृत्त राज्य की तरक्की और विकास की असीम संभावनाओं का प्रतीक है।

इसके बाद सेंटर या केंद्रीय व्रत आता है जिसके मध्य में “अशोक स्तंभ” की सिंह आकृति सुनहरे रंग में एवं बरगद का वृक्ष गेरुआ रंग में प्रदर्शित है ।

मध्यप्रदेश का राजकीय खेल

मध्यप्रदेश का राजकीय खेल मलखंब है इस खेल से शरीर को सबसे ज्यादा लाभ होता है या फुर्तीलापन आता है।

इस खेल में खिलाड़ी खम्बे की सहयोग से तरह तरह के खेल या व्यायाम को दिखाता है ।

मध्यप्रदेश सरकार ने मलखंब को 2013 में  राजकीय खेल होने का दर्जा दिया था।

इस खेल में मध्यप्रदेश सरकार प्रभाश जोशी अवार्ड देती है।

मध्य प्रदेश का राजकीय फल

मध्यप्रदेश का राजकीय फल आम है जिसका वैज्ञानिक नाम मेगीफेरा इंडिका है।

आम की पैदावार सर्वाधिक मात्रा में प्रदेश के जबलपुर, रीवा कटनी सतना बालाघाट जिले में होती है।

मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले को आम जिला के नाम से भी जाना जाता है।

मध्यप्रदेश में नूरजहां किस्म की आम पाई जाती है जिसका वजन 4 किलोग्राम तक होता है यह किस्म कट्ठीवाड़ा नामक स्थान पर पाई जाती है जो कि अलीराजपुर जिले में आता है।

मध्य प्रदेश का राजकीय वृक्ष

मध्यप्रदेश का राजकीय वृक्ष वटवृक्ष या बरगद  है जोकि मोरेसी कुल से संबंधित है इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस वैंनगेलेसिस है।

बरगद का पेड़ एक सदाबहार वृक्ष की प्रजाति है

मध्य प्रदेश का राजकीय नाटक

मध्यप्रदेश का राजकीय नाट्य माच है जो कि मालवा क्षेत्र में प्रचलित है और इस नाट्य का जन्म उज्जैन से हुआ है, इसकी विषयवस्तु  ऐतिहासिक व पौराणिक है।

मध्य प्रदेश का राजकीय पशु

मध्यप्रदेश का राजकीय पशु बारहसिंघा है जो कि ब्रेडरी प्रजाति का है

इसका वैज्ञानिक नाम रुसर्वस डुआउसेली है

मध्य प्रदेश सरकार ने बारहसिंघा को 1 नवंबर 1981 को प्रदेश का राजकीय पशु होने का दर्जा दिया था

बारहसिंघा की संख्या मध्यप्रदेश के कान्हा किसली नामक राष्ट्रीय उद्यान में है जोकि मंडला जिले मैं आता है ।

यह सर्विडी कुल या फैमिली का जीव है

मध्यप्रदेश का राजकीय पुष्प

मध्यप्रदेश का राजकीय पुष्प लिली है जो कि लिलयेसी कुल का पौधा है एवं जाती लिलियम है।

लिली का वैज्ञानिक नाम- लिलियम कैंडिडम है

मध्यप्रदेश का राजकीय नृत्य

मध्यप्रदेश का राजकीय नृत्य राई है जो कि mp के बुंदेलखंड क्षेत्र में फेमस या प्रचलित है और इस नृत्य की मुख्य नर्तकी को बेड़नी कहा जाता है जो इस नृत्य की जान होती है। इस नृत्य को अत्यधिक तेजी से नृत्य किया जाता है?

मध्यप्रदेश का राजकीय फसल

मध्यप्रदेश का राजकीय फसल सोयाबीन है मध्यप्रदेश में सोयाबीन की अत्यधिक पैदावार होती है जिस कारण से mp को सोया स्टेट के नाम से भी जाना जाता है।

सोयाबीन दलहनी कुल का पौधा है और पूरे भारत में सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है यह फसल मुख्य रूप से मालवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है।

मध्यप्रदेश का राजकीय मछली

मध्यप्रदेश सरकार का राजकीय मछली महाशीर है जिसे राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में महाशीर को राजकीय मछली घोषित किया है।

महाशीर मछली का वैज्ञानिक नाम प्यूटिटेरा है जो मुख्यतः नर्मदा नदी बेतवा केन चम्बल नदी में पाया जाता है जो कि अब विलुप्त होने की कगार पर है।

इस मछली को स्पोर्ट्स फिश के नाम से भी जाना जाता है।

मध्यप्रदेश का राजकीय नदी

मध्यप्रदेश की राजकीय नदी नर्मदा नदी है जो की मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी नदी है इस नदी का उदगम स्थल अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक से होती है।

इस नदी की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर है जिसमें मध्यप्रदेश के अंदर यह नदी 1077 किलोमीटर में बहती हुई निकलती है।

मध्य प्रदेश का राजकीय गान

सुख का दाता सबका साथी , शुभ का यह संदेश है, मां की गोद ,पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है … यह मध्यप्रदेश का  राजकीय गान है।

मध्यप्रदेश सरकार ने इस गान को वर्ष 2010 में राजकीय गान घोषित किया था जिसके रचनाकार श्री महेश श्रीवास्तव जी हैं।

मध्यप्रदेश का राजकीय पक्षी

मध्यप्रदेश का राजकीय पक्षी दूधराज है इस पक्षी का कलर दूध या दुधिया  के समान है जिसके कारण इसका नाम दूधराज पड़ा है।

दूधराज को शाहे बुलबुल व पैराडाइज फ्लाई कैचर के नाम से भी जाना जाता है

मध्य प्रदेश सरकार ने इसे 1 नवंबर 1981 (25 वा स्थापना दिवस) को राजकीय पक्षी होने का दर्जा दिया है

दूधराज का वैज्ञानिक नाम टर्पसीफोन पैराडाइसी है

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