मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य – आरक्षित वन क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यान तथा संरक्षित वन क्षेत्र में अभ्यारण स्थापित किए जाते हैं ,मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 11 राष्ट्रीय उद्यान तथा 31 अभ्यारण स्थित हैं जिसमें 7 टाइगर रिजर्व , 2 खरमोर अभ्यारण, 2 सोन चिड़िया अभ्यारण, 3 घड़ियाल अभ्यारण तथा 2 राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म संरक्षण हेतु स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 10.99 हजार वर्ग किलोमीटर है जिसमें से  वन क्षेत्र 9.12 हजार वर्ग किलोमीटर है।

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य
मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1955 में  राष्ट्रीय उद्यान के रूप में गठित किया गया जोकि इस समय मैं इसका मूल्यांकन एशिया के सबसे अच्छे पार्क के रूप में करते हैं

इस उद्यान में बाघ का मुक्त संचार है जो 1973 में बने अभयारण्य के उद्देश्य को सफल साबित करता है

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान मंडला बलाघाट जिले में स्थित है व इसका कुछ कुछ हिस्सा डिंडोरी जिले में भी आता है।

मंडला में इसे 1993 में अभयवन ,1952 में अभ्यारण तथा 1955 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया

यह सबसे पहला और मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है जिसे 1974 से प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है ।

यहां पर ब्रैड्री प्रजाति का 12 सिंह पाया जाता है कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 939.947 वर्ग किलोमीटर है.

कान्हा किसली मध्य प्रदेश का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है तथा मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान भी है

कान्हा शब्द कन्हार से बना है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ चिकनी मिट्टी है और इस मिट्टी के नाम से ही इस स्थान का नाम कान्हा पड़ा

घोड़े के पैरों के आकार वाला यह उद्यान रुपयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक द जंगल बुक का भी प्रेरणा स्रोत रहा है।

इसके अंतर्गत आने वाली बंजर और हेलन घाटियों को पहले मध्य भारत का प्रिंसेस क्षेत्र कहा जाता

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अमेरिका की नेशनल पार्क सर्विस के सहयोग से पार्क इंटरप्रिटेशन योजना लागू की गई

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बामनी दादर नामक एक खूबसूरत स्थान है जहां से सूर्यास्त का मनमोहक दृश्य निहारा जाता है।

कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में बारहसिंघा भारत के एकमात्र इसी उद्यान में पाया जाता है इसके अलावा यहां पर काला हिरण सांभर चीतल गौर जैसी हिरण भोकने वाला हिरण नीलगाय मृग की प्रजातियां भी पाई जाती हैं यहां पर लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें मोर, इग्रेट ,गाने वाले पक्षी, हरे कबूतर, गरुड़, बाज, सारस, तालाबी बगुला ,पहाड़ी कबूतर, पपीहा, उल्लू, कौवा आदि

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में कान्हा संग्रहालय भी बनाया गया है इस उद्यान की गणना एशिया के बेहतरीन उद्यानों में की जाती है।

कान्हा टाइगर रिजर्व मार्च 2017 के अंतिम सप्ताह में भारत का पहला टाइगर रिजर्व बना जिसने आधिकारिक रूप से एक शुभंकर जारी किया जिसका नाम भूरसिंह है जो एक बारहसिंघा है।

जुलाई 2017 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को दिल्ली में आयोजित तीसरा आसियान मिनिस्टीरियल कॉन्फ्रेंस में वन्य प्राणी प्रबंध के लिए पुरस्कृत किया गया

29 जुलाई 2017 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का आयोजन किया गया जिसकी थीम थी फ्रेस इकोलॉजी फॉर टाइगर प्रोटेक्शन

माधव राष्ट्रीय उद्यान

माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1958 में शिवपुरी में की गई जोकि 375.230 वर्ग किलोमीटर में फैला है इसमें मुख्य रूप से तेंदुआ सांभर चीतल आदि प्रमुख वन्य जीव पाए जाते हैं।

माधव नेशनल पार्क राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 3 पर स्थित है

जॉर्ज कैसल भवन का निर्माण जीवाजी राव सिंधिया ने 1911 में जॉर्ज केशल भारत आए थे तब उनके सम्मान में इस भवन का निर्माण किया गया

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1968 में किया गया जो कि उमरिया जिले में स्थित है

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बाघ की दृष्टि से देश में सबसे अधिक घनत्व वाला राष्ट्रीय उद्यान हैं इसे 1993 से प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया है

यह 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है तथा 448.842 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.

यह उद्यान शेरों की दृष्टि से देश का सर्वाधिक घनत्व वाला राष्ट्रीय उद्यान है जहां प्रति 8 किलोमीटर पर एक शेर पाया जाता है साथ ही सफेद शेरों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है

इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 23 मार्च 1968 में की गई तथा वर्ष 1993 में यहां प्रोजेक्ट टाइगर योजना लागू की गई

बांधवगढ़ विशाल खड़ी चट्टानों से घिरा है तथा सबसे ऊंची चट्टान पर लगभग 2000 साल पुराना बांधवगढ़ का किला स्थित है

इस उद्यान में मुख्य रूप से पाए जाने वाले जीवो में बाघ तेंदुआ चीतल सांभर नीलगाय एशियाई भेड़िया जंगली लोमड़ी वियर लकड़बग्घा जंगली बिल्ली लंगूर आदि प्रमुख है

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1979 में किया गया जो कि भोपाल में स्थित है इसका क्षेत्रफल 4.452 वर्ग किलोमीटर है। बड़े तालाब के किनारे

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के बीच में ही सर्प उद्यान भी है

इस उद्यान में बाघ शीतल तेंदुआ लकड़बग्घा सांभर नीलगाय आदि वन्य जीवों का संरक्षण किया जा रहा है

1993-94 मैं केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर के रूप में मान्यता दी गई

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान आईएसओ 9001-2008 अवार्ड प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला देश का एकमात्र उद्यान है

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान

पन्ना राष्ट्रीय उद्यान छतरपुर में 1981 में स्थापित किया गया है यहां पर रेप्टाइल पार्क भी है जिसमें रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं यह 1994 से प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल है और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 542.662 वर्ग किलोमीटर है.

विश्व प्रसिद्ध खजुराहो पर्यटन स्थल यहां से 25 किलोमीटर दूर स्थित है

पन्या उद्यान की जीवन रेखा कहलाने वाली के नदी का 55 किलोमीटर लंबा प्रवाह इस बाग उद्यान में दक्षिण से उत्तर की ओर बहता है

यहां पाए जाने वाले सरीसृप वर्ग में छिपकली गिरगिट भारतीय अजगर कोबरा और बंगाल के जहरीले सांप पाए जाते हैं और वन्यजीवों में नीलगाय चिंकारा सांभर चीतल सुस्त भालू सियार लकड़बग्घा रेसस बंदर जंगली सूअर आदि पाए जाते हैं

पेच राष्ट्रीय उद्यान

पेंच राष्ट्रीय उद्यान पेंच नदी के नाम से बना है और 1992 में गठित यह पेंच बाघ अभ्यारण सतपुड़ा श्रेणियों के दक्षिणी इलाकों में स्थित है

यह 1179.362 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल फैला हुआ है जिसके 411.33 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अभ्यारण का विस्तार है

यहां से बहती पेंच नदी इस अभ्यारण को छिंदवाड़ा और सिवनी जिलों के बीच विभाजित कर देती है

पेंच बाघ अभयारण्य नागपुर और जबलपुर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर खवासा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर है जिसकी स्थापना 1975 में की गई यह सिवनी छिंदवाड़ा जिले में स्थापित है इसे 1980 से प्रोजेक्ट टाइगर में  शामिल किया गया है उद्यान 292.857 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान होशंगाबाद में स्थित है जिसकी स्थापना वर्ष 1983 में किया गया यह 528.729 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है इसे 1999 से 2000 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया था ।

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1999 – 2000 में टाइगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है

इस उद्यान में मुख्य रूप से बाघ तेंदुआ सांभर चीतल नीलगाय चौसिंगा चिंकारा गौर जंगली सूअर जंगली कुत्ता भालू काला हिरण लोमड़ी उड़न गिलहरी एवं भारतीय विशाल गिलहरी तथा भारतीय बायसन आदि पाए जाते हैं मुख्य रूप से काला हिरण यहां का विशेष आकर्षण माना जाता है।

जुलाई 2017 में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व वन्य प्राणी प्रबंधन के लिए पुरस्कृत किया गया है

संजय राष्ट्रीय उद्यान

यह प्रदेश के सीधी और शहडोल जिले के अंतर्गत आता है इसका ज्यादातर भाग छत्तीसगढ़ राज्य में चला गया है

संजय राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 466.657 वर्ग किलोमीटर है इसे 1981 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया और इसे वर्ष 2008 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया था।

संजय राष्ट्रीय उद्यान का पुराना नाम डुबरी था

वर्ष 2008 में संजय नेशनल पार्क को प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल कर लिया गया है

यह अविभाजित मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान था

फासिल राष्ट्रीय उद्यान

फासिल राष्ट्रीय उद्यान डिंडोरी जिले के शहपुरा नामक एक छोटा सा शहर के पास घुघुवा ग्राम में स्थित है जो 1968 में स्थापित किया गया

यह प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है जिसका क्षेत्रफल 0.270 वर्ग किलोमीटर है यह प्रदेश का पहला जीवाश्म उद्यान है.

यह उद्यान नीलगिरी जीवाश्म के लिए जाना जाता है जो अभी तक सबसे प्राचीन जी वास माना जाता है जीवाश्म पार्क में 40 मिलियन से 150 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म संरक्षित किए गए हैं

घुघुआ नाम से प्रसिद्ध थे इस जीवाश्म उद्यान में अब तक 18 पादप कुलों के 31 परिवारों के पौधों के जीवाश्म खोजे जा चुके हैं

डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान

यह उद्यान 2 दिसंबर 2010 को अस्तित्व में आया यह धार जिले के बाग क्षेत्र में फैले डायनासोर के जीवाश्म अंडों के अवशेष को जुरासिक पार्क की शक्ल में उकेरा जा रहा है

यहां करोड़ों रुपए की लागत में नेशनल डायनासोर पार्क बन रहा है इसकी मंजूरी 2 दिसंबर 2010 को प्रदान की गई तथा आधिकारिक घोषणा जुलाई 2013 में की गई

विशेषज्ञों के अनुसार विश्व में बाघ ही ऐसा इकलौता क्षेत्र है जो डायनासोर के जीवाश्म के मामले में सबसे समृद्ध है डायनासोर की सभी प्रजातियों के अवशेष यहां मिले हैं।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान

मध्यपदेश के राजपत्र में 14 दिसंबर 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार कूनो पालनपुर अभयारण्य को कूनो राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है

साथ ही करेरा अभ्यारण शिवपुरी को डिनोटिफिकेशन किया गया है तथा कुछ अभ्यारण के कुछ क्षेत्रों को भी डिनोटिफिकेशन किया गया है जिससे शिवपुरी अभ्यारण में भी बना रहेगा

वन्य प्राणी अधिनियम 1972 की धारा 35 की उप धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य सरकार एतद द्वारा पूर्व में अधिसूचित 344.686 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के अतिरिक्त से दर्शाए अनुसार 404.0 758 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सम्मिलित करते हुए कुल 748.7618 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्य पशु एवं पक्षियों के लिए कूनो राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया है।

FAQs :-

पालपुर कूनो हो कब तक अभ्यारण रहा

1981 से 2018

ओमकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान कब से प्रस्तावित है

वर्ष 2004 से

भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब की गई

वर्ष 1936 मैं जिसका नाम हेली नेशनल पार्क था जिस अब जिम कॉर्बेट के नाम से जाना जाता है जो कि उत्तराखंड में है

इन्हें भी पढ़ें

  1. मध्य प्रदेश के प्रमुख महल एवं किले
  2. मध्य प्रदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के नाम
  3. प्रसिद्ध पुस्तकें और उनके लेखक

We provide insights on diverse topics including Education, MP GK, Government Schemes, Hindi Grammar, Internet Tips and more. Visit our website for valuable information delivered in your favorite language – Hindi. Join us to stay informed and entertained.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment